Roshan sharma

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वो बात कहाँ


कदम रखा भी तो तुमने फूंक फूंक के,
तुम्हारी पायल में अब वो बात कहाँ।

दिल भी खोलती हो तो सुबक सुबक कर,
तुम्हारी मुस्कान में अब वो बात कहाँ।

हाथ भी थामा तो सेहमे दिल से,
तुम्हारे जज्बातो में अब वो बात कहाँ।

लटों को कानो के पीछे भी करा तो बेरुखी से,
तुम्हारी अदाओ में अब वो बात कहाँ।

छीन लिया मेरी बेचेनियो को भी मुझसे,
तुम्हारे दिल में अब वो सुख कहाँ।

पालके भी झुकी तो हया बनकर,
तुम्हारी शैतानियों में अब वो बात कहाँ।

चाय भी ली तो बिना चीनी के,
तुम्हारे होटों में अब वो मीठास कहाँ।

रात गुजरी है सिर्फ करवटो में
हमारी बातो में अब वो बात कहाँ

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8 Comments

Alisha ansari

23-Jul-2021 08:14 AM

बढ़िया गहराई है आपकी रचना में

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Aliya khan

22-Jul-2021 10:46 PM

Wah👏👏

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Swati chourasia

22-Jul-2021 07:04 PM

Very nice

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